उत्तराखंड

खाकी में हुनर: सेवा और संगीत का अनूठा संगम हैं उत्तराखंड पुलिस के उपनिरीक्षक दिनेश पंवार..

बांसुरी की धुन से हर किसी को कर देते हैं मदहोश, कई बड़े मंचों पर बढ़ा चुके मान, बनाना चाहते हैं उत्तराखंड पुलिस की नई पहचान..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: उत्तराखंड पुलिस अपराधियों के हौंसले पस्त करने में तो दक्ष है ही, लोगों के दिलों में बसने का हुनर भी बखूबी जानती है। उत्तराखंड पुलिस में ऐसी प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जो अपने फर्ज को अंजाम देने के साथ-साथ अपनी कला और कौशल से आमजन का दिल जीत लेते हैं। इन दिनों चमोली जिले में तैनात उपनिरीक्षक दिनेश सिंह पवार भी उनमें से एक हैं। जो अपनी कर्तव्यनिष्ठा के साथ-साथ संगीत प्रेम के लिए भी पहचाने जाते हैं। जहां एक ओर वे पुलिसिंग में माहिर हैं, वहीं उनकी बांसुरी की मधुर धुनें लोगों के दिलों को छू जाती हैं। उनकी यह दोहरी प्रतिभा उन्हें न केवल पुलिस महकमे में, बल्कि आम जनता के बीच भी एक अलग पहचान दिलाती है।
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पुलिस सेवा और संगीत का सफर…..दिनेश सिंह पवार मूल रूप से देवप्रयाग, टिहरी के रहने वाले हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पुलिस विभाग में सिपाही के रूप में की और 2009 में उपनिरीक्षक के पद पर पदोन्नत हुए। उनका झुकाव बचपन से ही कला की ओर था। स्कूल के दिनों में वे पेंटिंग, कविता लेखन और संगीत में रुचि रखते थे। लेकिन संसाधनों की कमी के कारण वे बांसुरी सीखने का सपना पूरा नहीं कर पाए।2013 में संगीत की ओर वापसी…. 
2013 में उन्होंने अपने इस शौक को फिर से जीवंत करने का निश्चय किया और यूट्यूब की मदद से बांसुरी बजाने की तकनीकें सीखनी शुरू कीं। शुरुआत में उन्होंने यूट्यूब के माध्यम से बांसुरी बजाने की तकनीकें सीखीं।गौरव रतूड़ी से प्रशिक्षण…..
इसके बाद, उन्होंने प्रसिद्ध बांसुरी वादक श्री गौरव रतूड़ी के मार्गदर्शन में अपने हुनर को निखारना शुरू किया। कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास ने उनकी कला को और संवार दिया। हालांकि, पुलिस की व्यस्त ड्यूटी और सही प्रशिक्षण की कमी के कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने लगातार रियाज जारी रखा और अपनी क्षमताओं को और बेहतर बनाने का प्रयास किया।
—————————————वर्तमान में उपनिरीक्षक दिनेश सिंह पवार चमोली जिले में तैनात हैं। यहां के स्थानीय लोगों ने बड़े आयोजनों में उनकी कला को खूब सराहा और उन्हें प्रोत्साहित किया। उनकी बांसुरी की मधुर धुनों ने न केवल उनके सहयोगियों बल्कि आम जनता को भी मंत्रमुग्ध कर दिया।
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संगीत: तनाव मुक्ति का माध्यम…..दिनेश सिंह पवार के अनुसार, संगीत उनके लिए ध्यान (मैडिटेशन) की तरह है। पुलिस सेवा में अक्सर कठिन ड्यूटी शेड्यूल, तनाव और सामाजिक जीवन की चुनौतियाँ होती हैं। ऐसे में बांसुरी का रियाज उन्हें मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। पिछले 12 वर्षों से वे नियमित रूप से बांसुरी का अभ्यास कर रहे हैं, जिससे उनकी संपूर्ण व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन आया है। उन्होंने महसूस किया है कि संगीत से उनके धैर्य, एकाग्रता और मानसिक संतुलन में वृद्धि हुई है।
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भविष्य की योजनाएँ और बड़े सपने, उत्तराखंड पुलिस की नई पहचान बनाना…..दिनेश सिंह पवार का सपना है कि वे बांसुरी को प्रोफेशनल स्तर पर बजाएँ और उत्तराखंड पुलिस की एक नई पहचान स्थापित करें। वे चाहते हैं कि लोग यह जानें कि उत्तराखंड पुलिस केवल अपराधों की रोकथाम में ही नहीं, बल्कि संगीत जैसे कला क्षेत्र में भी महारत रखती है।
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भारतीय शास्त्रीय संगीत में निपुणता….इसके अलावा, वे भारतीय शास्त्रीय संगीत को गहराई से सीखना चाहते हैं और खुद का संगीत निर्माण करना चाहते हैं, जिससे उन्हें आत्मसंतोष मिले और लोग उनकी कला से प्रेरित हों।
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प्रेरणादायक संदेश: हर किसी में छुपी है एक कला…..दिनेश सिंह पवार मानते हैं कि हर इंसान के अंदर कोई न कोई हुनर जरूर होता है। यदि हम अपने शौक को समय दें, तो न केवल हमें खुशी मिलेगी बल्कि तनाव भी कम होगा और काम करने की प्रेरणा मिलेगी।

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