
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: जिस नगरी को संतों-साधुओं की भूमि कहा जाता है, जहां गंगा आरती की ध्वनि से दिन की शुरुआत होती है—वही हरिद्वार अब धीरे-धीरे सट्टा और जुए के अड्डों में तब्दील होती जा रही है। कोतवाली और चौकियों से चंद कदम की दूरी पर खुलेआम झोपड़ियों में ‘कैसीनो’ सज रहे हैं, और पुलिस तमाशबीन बनी हुई है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश के माफिया अब धर्मनगरी में अपने पैर पूरी तरह जमा चुके हैं। सूत्रों की मानें तो चंडीघाट चौक, पंतद्वीप पार्किंग और ब्रह्मपुरी मार्ग पर झोपड़ियों में इनका काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। आमजन की गाढ़ी कमाई को लूटने वाला यह नेटवर्क दिन ढलते ही सक्रिय हो जाता है और देर रात तक बेरोकटोक चलता रहता है।
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आस्था के शहर में जुए का मेला….चंडीघाट चौक के पास स्थित ऑटो रिक्शा—विक्रम स्टैंड से सटे क्षेत्र में एक झोपड़ी में ऐसा ही ‘कैसीनो’ लंबे समय से संचालित हो रहा है। यहां हर शाम मेले जैसा माहौल बनता है—ताश की बाजियां लगती हैं, सट्टे के नंबर तय किए जाते हैं और हजारों की नकदी मिनटों में पलट दी जाती है।
—————————————इसी तरह की गतिविधियां पंतद्वीप पार्किंग और सर्वानंद घाट के आसपास भी देखी जा रही हैं। शहर कोतवाली के ठीक पीछे ब्रह्मपुरी मार्ग पर भी यही नज़ारा आम है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन सबके बावजूद पुलिस प्रशासन पूरी तरह खामोश बना हुआ है।
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काली कमाई के पीछे कौन…?जानकारों का कहना है कि इन अड्डों को पश्चिमी यूपी के कुख्यात माफिया संचालित कर रहे हैं। उनका नेटवर्क न केवल मजबूत है, बल्कि इतना प्रभावशाली है कि स्थानीय तंत्र भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहा। बताया जा रहा है कि इनकी जड़ें हरिद्वार के कोने-कोने में गहरी हो चुकी हैं।
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क्या बदनाम करने की साजिश है यह…?इस पूरे घटनाक्रम के बीच यह भी आशंका जताई जा रही है कि हरिद्वार के एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल की ईमानदार छवि को बदनाम करने की एक साजिश भी इसके पीछे हो सकती है। आमजन को विश्वास है कि न्यायप्रिय और कड़क मिज़ाज के लिए प्रसिद्ध एसएसपी जल्द ही इस गंदे नेटवर्क पर शिकंजा कसेंगे और धर्मनगरी की पवित्रता को बहाल करेंगे।