हरिद्वार भूमि घोटाला: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बोले,‘यह सरकार का ज्वलंत महापाप, राजनीतिक संरक्षण के बिना मुमकिन नहीं..
उठाया सवाल, घोटाले का राजनीतिक संरक्षक कौन? जवाब मिले बिना मामला भुलाया नहीं जा सकता..

पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून/हरिद्वार: हरिद्वार भूमि घोटाले में सरकार की ओर से की गई सख्त कार्रवाई के बाद राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज़ हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस पूरे प्रकरण को “सरकार का ज्वलंत महापाप” करार दिया है। उन्होंने सवाल उठाया है कि इतने बड़े स्तर पर हुआ यह घोटाला बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं हो सकता।हरीश रावत ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट कर कहा, “हरिद्वार भूमि घोटाला, इस सरकार का एक ज्वलंत महापाप है। जन दबाव में आपने जिलाधिकारी आदि को सस्पेंड किया, यह अच्छी बात है। लेकिन मैंने अपने पहले ही ट्वीट में लगभग 15 दिन पहले यह स्पष्ट कर दिया था
कि इतना बड़ा भूमि घोटाला और वो भी जिले के केंद्र बिंदु पर स्थित जिला मुख्यालय में, बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं हो सकता। ”पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे लिखा, “अब सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि इस घोटाले का राजनीतिक संरक्षक कौन है..
? जब तक इसका उत्तर नहीं मिलेगा, तब तक यह घोटाला पूरी तरह उजागर नहीं माना जाएगा। यह एक ऐसा घोटाला है, जिसे माफ करना कठिन है।
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जनदबाव में हुई कार्रवाई, राजनीतिक जवाबदेही की मांग तेज….हरीश रावत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जिलाधिकारी, एसडीएम और अन्य अधिकारियों को सस्पेंड करना केवल एक ‘प्रारंभिक कदम’ है, असली सवाल तो उन चेहरों का है जो पर्दे के पीछे से इस पूरे घोटाले को चला रहे थे।कांग्रेस की ओर से मांग की गई है कि अब इस मामले की जांच को केवल प्रशासनिक स्तर तक सीमित न रखा जाए, बल्कि राजनीतिक परतों को भी उजागर किया जाए।
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विजिलेंस जांच शुरू, विपक्ष की मांग: जांच हाई लेवल तक पहुंचे…..उधर, सरकार ने इस घोटाले की जांच विजिलेंस को सौंप दी है। निलंबित अधिकारियों के बैंक खातों, संपत्तियों और जमीन लेन-देन की गहराई से जांच की जाएगी। वहीं विपक्ष की मांग है कि इस जांच को राजनीतिक संरक्षण तक पहुंचाया जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि घोटाले के पीछे किन-किन प्रभावशाली लोगों की भूमिका रही।
————————————–हरिद्वार भूमि घोटाले ने न सिर्फ शासन-प्रशासन बल्कि राजनीति के गलियारों को भी झकझोर दिया है। अब देखना यह है कि क्या विजिलेंस की जांच इस यक्ष प्रश्न तक पहुंचेगी, जिसका जवाब खुद हरीश रावत ने मांगा है— “इस घोटाले का असली राजनीतिक संरक्षक कौन है?