हर बार आरोपियों का बचाव करने पर ही क्यों होता है विधायक समर्थकों का पुलिस से विवाद..
ऐसी क्या मजबूरी, पहले छेड़छाड़ के आरोपियों का बचाव, फिर कोतवाली में खड़ा कर दिया हंगामा, लोग पूछ रहे सवाल..
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: ज्वालापुर कोतवाली में पुलिस और रानीपुर विधायक आदेश चौहान समर्थक के बीच नोंक-झोंक पर शुरू हुआ विवाद देर रात एसपी क्राइम पंकज गैरोला की मौजूदगी में शांत हो गया, लेकिन छेड़छाड़ के आरोपियों का बचाव करने से शुरू हुआ यह हंगामा अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया। सवाल यह है कि भाजपाइयों का पुलिस से विवाद हमेशा आरोपियों के पक्ष को लेकर ही क्यों होता है..? इस बार तो हद ही हो गई विधायक समर्थक छेड़छाड़ के आरोपियों का बचाव करने ही कोतवाली जा पहुंचा। भाजपाईयों की ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि पहले तो छेड़छाड़ जैसे संवेदनशील और महिला अपराध से जुड़े मामले में आरोपियों का बचाव किया और जब पुलिस ने आरोपियों को रियायत देने से इनकार किया तो चंद मिनट में कोतवाली में हंगामा खड़ा कर दिया गया। हमेशा की तरह विधायक आदेश चौहान ने कार्यकर्ताओं के साथ खड़े होकर पुलिस को कटघरे में खड़ा करने में देर नहीं लगाई। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर यदि सत्ता पक्ष या विपक्ष हंगामा खड़े करे तो बात समझ में आती है। लेकिन हर बार आरोपियों का बचाव करना कौन सी राजनीति का परिचायक है। आखिरकार छेड़छाड़ का शिकार होने वाले पीड़िता भी तो किसी की बहन-बेटी रही होगी। क्या आरोपियों का बचाव करने और फिर हंगामा खड़ा करने से पहले भाजपाइयों को “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा याद नहीं करना चाहिए था। मामले को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ही नहीं आम लोग भी सोशल मीडिया पर भाजपा से सवाल पूछ रहे हैं। कुल मिलाकर एक बार फिर गलत की पैरवी करने पर भाजपाइयों की किरकिरी हो रही है।
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एसपी क्राइम के आने पर बनी बात…..कोतवाली प्रभारी प्रदीप बिष्ट से विवाद होने पर पहले तो सीओ ज्वालापुर शांतनु पाराशर ने भाजपाइयों को समझाने बुझाने का भरसक प्रयास किया। लेकिन विधायक और उनके समर्थक काफी प्रयास के बाद भी सीओ के समझाने से नहीं माने। तब एसपी क्राइम पंकज गैरोला कोतवाली पहुंचे और दोनों पक्षों को समझा बुझाकर विवाद खत्म कराया।
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पिछली बार कोतवाल हटाने की मांग पर दिया था धरना…..
रानीपुर विधायक आदेश चौहान और उनके समर्थकों का पुलिस से पिछला विवाद ज्वालापुर पीठ बाजार में झगड़े के आरोपियों को छुड़ाने को लेकर हुआ था। तब विधायक आदेश चौहान अपने समर्थकों के साथ जिला अस्पताल में कोतवाल रमेश तनवार को हटाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए थे। आधी रात तक धरना देने के बाद पता चला कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते विधायक की मांग पूरी नहीं हो सकती।
यह अलग बात है कि आचार संहिता हटने के कई महीने बाद तक इंस्पेक्टर तनवार कोतवाली प्रभारी कुर्सी पर रहे। इसके अलावा 2 साल पहले भी एक नाबालिग से अश्लील हरकत के आरोपियों का बचाव करने पर तत्कालीन कोतवाली प्रभारी महेश जोशी के साथ विधायक समर्थकों का गरमा गरम विवाद हुआ था।
पाहवा ने सीएम और डीजीपी को लिखी चिट्ठी…
इस घटना के बाद देवभूमि भैरव सेवा संगठन के प्रदेश सचिव और हिंदूवादी नेता चरणजीत पाहवा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश के डीजीपी को एक चिट्ठी लिखी है। जिसमें पाहवा ने कहा कि पुलिस रात दिन कानून व शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए अपना पसीना बहाती है। किसी का नाम लिए बगैर चिट्ठी में पाहवा ने लिखा कि कुछ नेता आरोपियों का बचाव करते हुए पुलिस पर दबाव बनाने का काम करते हैं। पुलिस के काम में दखलअंदाजी करने पर रोक लगनी चाहिए और ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए। तभी पीड़ित और आम जनता को न्याय मिल सकेगा।